मेरी ऑनलाइन दुनिया
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साक़ी पिलाए जा....
साक़ी पिलाए जा बेशक़ शाम हो जाए
जो होना है आज वो अंजाम हो जाए
मयक़शी के दौर सरे-आम हो जाए
शहर के रिंदों में अपना भी नाम हो जाए
क़हक़शाओं को छू आऊं, ग़ुरबत के ग़म भूल जाऊं
जितनी भी हसरतें हैं सब तमाम हो जाए
- पुनीत भारद्वाज
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