कहने को कुछ नहीं तो क्या ज़ेहन तो ज़िंदा है..
लब ख़ामोश हैं लेकिन धड़कनें ताबिंदा (रोशन) है..
अब तो सवाल भी पैदा नहीं होते सीने में,
कुछ जवाब हैं दिल में जो अब तक शर्मिंदा है...
- पुनीत भारद्वाज
1 टिप्पणी:
ज़िन्दगी ख़त्म हो जाती है, सवाल जवाब ख़त्म नहीं होते अच्छा है जो तुमने सवालो पर जीत पा ली है. वैसे lines अच्छी हैं
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