क्यूं बस बुत बनके बैठे हो...
क्यूं हाथ में गदा लेके ऐसे ऐंठे हो...
अब तो हिलो...चलो...उसे...मुझे...
पाप का हर निशान.....कुचलो...
अब तो हिलो....अब तो चलो
क्यूं बस बुत बनके ही बैठे हो....
व्रत धरो...गंगा नहाओ....या संग संगत भजन गाओ
सुबह-शाम मंदिर जाओ
या पुजारी जी के मार्फत कनेक्सन बनाओ
चाहे घूस के नाम पर चढ़ावा
श्री चरणों में चढ़ाओ
थोड़ा सा...या पूरी जेब करो ढीली ...
कभी-कभी या...ये शुभ कार्य करो डेली...
कितना जप लो......राम नाम
कोई गारंटी नहीं कि
100 परसेंट बनेंगे आपके काम
नारियल फोड़ लो
साष्टांग करो या हाथ जोड़ लो...
यहां तो हर बार....हर अरज पर....
होती है... conditions apply*...
देर-अंधेर तो पता नहीं माई बाप
इतना पता है कि
भगवान के दफ़्तर में है कोरी अफ़सरशाही....
*Terms & Conditions apply...Please read the documents of Geeta carefully
- पुनीत भारद्वाज
2 टिप्पणियां:
हमेशा की तरह बहुत ही बेहतरीन कविता लिखी है पुनीत। लिख इसलिए रहा हूं कि तुम्हें पता चले की मैं तुम्हारी कविताएं पढ़ता हूं। ऐसे ही कलम की जादूगरी दिखाते रहो।
wow Puneet kamal kar diya,
bas aise hi likhte jao aur khoob taareef pao
ps: taareef me koi condtition apply nahi hai, wo dil se nikalti hai :D
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