चार्ली चैप्लिन यानी हम सब ....
दुनिया ने कभी उसे दुत्कारा था। बाद में उसी दुनिया ने उसे सिर आंखों पर बिठाया... उसने हमेशा अपने आसपास मक्कारी का समुद्र पाया..जिसमें बड़े बड़े मगरमच्छ घात लगाए बैठे थे.. इसलिए पर्दे पर उसने कुछ ऐसी लातें मारी जिसने मक्कारी की कमर तोड़ दी... ये वो लातें थी जो कमज़ोर से दिखने वाले इस शख्स ने अपने से आकार में बड़े..हाथी जैसे शरीर वाले उस आदमी की चूतड़ पर मारी थी..जो भोलेपन के नकाब में अपना मक्कार चेहरा छिपाता था..यकीनन लोग जब ये देखते तो उनके पेट में हंस-हंस के बल पड़ जाते...
ये कारनामा था उस शख्स का जिसे दुनिया चार्ली चैप्लिन के नाम से जानती है...
चार्ली चैप्लिन जिसने दुनिया को पहली बार बताया कि खुद पर हंसने का सुख ही कुछ और है..वो जिंदगी भर दूसरों को हंसाता रहा और जिंदगी उसे हर वक्त रुलाती रही... शायद इसलिए उसने एक बार कहा था कि 'मुझे बारिश में रोना पसंद हैं क्योंकि आपका दुख आप तक ही रहता है'... कभी लंदन की गलियों में पागल मां के प्यार के लिए भटकता भूखा चार्ली आने वाले दिनों मे इतना मशहूर होगा ये किसी ने भी नहीं सोचा होगा.. उसकी शख्सियत से डर कर जापान के आतंकवादियों ने उसकी हत्या करने की योजना बनाई थी.. वो समझते थे कि उसकी हत्या से बौखलाकर अमेरिका जापान में दूसरा विश्व युद्द शुरु होगा.. चार्ली उन दिनों अपनी लोकप्रियता के चरम पर था औऱ उन दिनों अमेरिका में रह रहा था.. बाद में जब आतंकवादियों को ये पता चला कि चार्ली अमेरिका का गौरव नहीं बल्कि ब्रिटेन के नागरिक हैं तो उन्होंने उसकी हत्या का विचार त्याग दिया...
उसने जिंदगी भर कई महिलाओं से संबंध बनाए पर अफसोस वो जिंदगी भर अकेलेपन से जूझता रहा.. साथ रहा तो बस हेटी केली नाम की लड़की से प्यार का अहसास..जो उसे कभी न मिल पाई... उसके साथ अगर जिंदगी में किसी ने दिया तो वो था उसका भाई सिडनी चैप्लिन और उसकी कला..यानि कि उसकी फिल्में जैसे द ट्रैम्प, सिटी लाईट्स,द ग्रेट डिक्टेटर(जो हिटलर की खिल्ली उड़ाती थी), लाइमलाइट... इत्यादि... दुनिया ने शायद ही कभी इतना ताकतवर चरित्र पर्दे पर कभी देखा हो... वो पिट कर भी पीट देने की प्रेरणा देता है.. उसने फिल्में नहीं सपने बेचे एक ऐसे समाज को जो सिर्फ अपने तक क्रेंद्रित था.. उसने बताया कि भोलेपन से भी मक्कारों की इस दुनिया को जीता जा सकता है...
तुषार उप्रेती
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