वो ममता की मूरत है,
तो कभी एक लाडली बेटी...
एक आदर्श बहू होने के साथ,
वो बंधी है राखी की डोर से...
कभी वो कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ती है,
तो कभी उस अबला को रहना पड़ता है दहलीज़ की मर्यादाओं में...
नारी की शक्ति पर टिका है सारा जहान
नारी के इन सब रूपों को हमारा सलाम
- पुनीत भारद्वाज
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