कबसे बस साहिल पे खड़ा हैमाना आग का दरिया है, इक बार उतरके तो देख
अभी तो तुमने बस मेरी मोहब्बत देखी है
गर इंतिहा-ए-इश्क़ देखनी है तो मुझसे लड़के तो देख
- पुनीत भारद्वाज
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