साहिल के कंधों पे लहरों ने थपकी दी है
सागर के आंचल में सूरज ने झपकी ली है.....
एक हाथ तो बढ़ाओ, आसमां पे फल लटक गए हैं
अपनी भूख मिटाओ, तारों के झुंड जो पक गए हैं
ये स्वाद में मीठे होंगे, ये बात तो पक्की ही है
साहिल के कंधों पे लहरों ने थपकी दी है....
पेड़ों के पत्तों पे, किसने ये कोहरा बिखेरा
झूमते फूलों पे, ये रंग है किसने फेरा
ये कैसा करिश्मा है, ये बात गज़ब की है
साहिल के कंधों पे लहरों ने थपकी दी है....
वो पंछी अपने घर से फिर से निकल पड़े हैं
हम भी उड़े आसमान में, क्यों सोच में पड़े हैं
ख्वाहिशों को पंख लगाएं, ये उड़ान हसरत की है
साहिल के कंधों पे लहरों ने थपकी दी है
सागर के आंचल में सूरज ने झपकी ली है....
- पुनीत भारद्वाज
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