माना के दूर होते हैं...
जब हम पास होते हैं..
और इन फ़ासलों में
भले ही मन उदास होते हैं..
जितने भी दूर हो हम-तुम
तो क्या हुआ ऐ दोस्त...
कुछ एहसास हैं जो
बेहद ख़ास होते हैं...
ये फ़ासलें तो बस नज़र का धोख़ा है....
हरदम तेरे ख़्याल तो मेरे आस-पास होते हैं...
- पुनीत भारद्वाज
2 टिप्पणियां:
yeah it's true !!!!
kabhi-kabhi faasle b nazdikiya ban jaate hain or kai baar faaslo ka koi astitva nahi reh jata....
b'ful p accompanying a b'ful picture.
khayal hi to zinda rakhte h hume har mushkil me
zindagi ko kitna aasan bana dete h ye khayalat.
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