लकीरें हैं,लकीरों का क्या ?
साहिल पर खींचे तो लेहरों को रोकती हैं लकीरें
पेशानी पर खींचे तो किस्मत का मुंह नोचती हैं लकीरें
दहलीज़ पर खींचे तो सीता का अपहरण कराती हैं लकीरें
पत्थर पर खींचे तो जीवन और मरण कराती हैं लकीरें
कभी कभी सोचता हूं कि क्या ये लकीरों का दोष है ?
कोई जिंदगी में एक ही लकीर नापता है
तो कोई लकीरों से रास्ते तलाशता है।
हर कोई एक लकीर के सामने
दूसरी लकीर खींचकर खुद को बड़ा मानना चाहता है।
कोई लकीरों से किसी का नाम काटता है
तो कोई लकीरों को मिलाकर नाम लिखता है
दुल्हन के हाथों पर खींचे लकीरें मेंहदी होती है
तो विध्वा की मांग की लकीरें सपना खोती हैं
आखिर क्या हैं ये लकीरें और कहां से आई हैं
आप भी तलाशना और मैं भी तलाश रहा हूं
लकीर से लकीर जोड़कर नये सपने बना रहा हूं
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें