ये दिल्ली नहीं ,ये कुछ और है..
यहां रिक्शें हैं , तांगे हैं, मेट्रो का शोर है
ये दिल्ली नहीं,ये कुछ और है
यहां धूल है , धूप है, धुआं हरामखोर है
ये दिल्ली नहीं,ये कुछ और है..
यहां संसद है, सड़क है, ये दिल मांगे मोर है
ये दिल्ली नहीं, ये कुछ और हैं..
यहां खादी है , खाकी है, गांधी के स्टैचू हर ओर हैं
ये दिल्ली नहीं, ये कुछ और है...
यहां आदमी है, औरतें हैं, कमला मार्किट के धंधे का ज़ोर है
ये दिल्ली नहीं , ये कुछ और है..
यहां पंजाब है, हरियाणा है, फिर भी बिहारी लतखोर हैं
ये दिल्ली नहीं, ये कुछ और है...
यहां सर्दी है, गर्मी है, यमुना की चुप्पी करती बोर है
ये दिल्ली नहीं,ये कुछ और है..
यहां पंडे हैं, गुंडे हैं, बाबू रिश्वत-खोर है
ये दिल्ली नहीं,ये कुछ औऱ है.
यहां स्कूल हैं, कालेज हैं, अख़बार बचपन की हत्या से सराबोर हैं
ये दिल्ली नहीं, ये कुछ और है...
यहां मंज़िल है, फासले हैं, गाडफादरों का ज़ोर है
ये दिल्ली नहीं कुछ और है...
यहां किस्से हैं,सीटियां हैं, मनचले मुफ्तखोर हैं
ये दिल्ली नहीं, ये कुछ और है....
.यहां मंदिर हैं, गुरुद्वारें हैं, लुटी इज्ज़त हर ओर है
ये दिल्ली नहीं, ये कुछ और है..
यहां होटल है, यहां बोतल है, बेशुमार मर्दखोर हैं
ये दिल्ली नहीं, ये कुछ और है..
यहां जंतर है, यहां मंतर है, दिखता नहीं कोई छोर है
ये दिल्ली नहीं, ये कुछ और है....
यहां आप हैं, यहां मैं हूं, दिल बहलाने को वन टू का फोर है
ये दिल्ली नहीं, ये कुछ और है....
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