चांदनी रातें भी थी
फूल भी थे
और बहारों के मौसम थे
ये हमारी क़िस्मत थी के बस अकेले हम थे....
सितारों का साथ भी था
ख़ुशबू कोई फ़िज़ा में थी
मग़र फिर भी कई ग़म थे
ये हमारी क़िस्मत थी के बस अकेले हम थे...
चांद भी बुझ गया
रात फिर ढल गई
तन्हाईयों के शोर में हाथ से निकल गई
और जो बाकी रहे वो सब क़िस्से नम थे
ये हमारी क़िस्मत थी के बस अकेले हम थे....
फूल भी थे
और बहारों के मौसम थे
ये हमारी क़िस्मत थी के बस अकेले हम थे....
सितारों का साथ भी था
ख़ुशबू कोई फ़िज़ा में थी
मग़र फिर भी कई ग़म थे
ये हमारी क़िस्मत थी के बस अकेले हम थे...
चांद भी बुझ गया
रात फिर ढल गई
तन्हाईयों के शोर में हाथ से निकल गई
और जो बाकी रहे वो सब क़िस्से नम थे
ये हमारी क़िस्मत थी के बस अकेले हम थे....
-पुनीत भारद्वाज
1 टिप्पणी:
Akele q the? yaadein nahi thi tumhaare saath kya!!!!
or waise bhi:-
tanhai me hi khud ko behtar jaan pate hain;
guzre hue khatte-meethe pal yaad aate hain;
jo kehna tha keh na paaye wo soch k muskurate hain;
tumhe yaad karte hain or tumhe yaad aana chahte hain.
Fir kabhi ni kehna ki tum akele ho kyonki yadein or ehsaas har waqt insaan k pas rehte hain.
tum unhe hamesha mehsoos kar sakte ho....
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