ये श्याम बेनेगल कौन है ?
दिल्ली के ताज पैलेस होटल में हम घुसे। माहौल काफी रंगीन था। कुछ जाने-पहचाने चेहरे आसपास खड़े बतिया रहे थे। टीवी सीरियल हम लोग फेम बाबुजी भी थे , तो नटवर सिंह और जया जेटली भी टेबल पर रखे अंगुर गप्प से निगल रहे थे । वैसे कुछ और चेहरे भी थे जिन्हें अपने बचपन के दिनों मे मैं दूरदर्शन पर देखा करता था। नाम याद नहीं। लेकिन अपने को जिस आदमी से सबसे ज्यादा मतलब था । वो थे श्याम बेनेगल , जो दिखाई नहीं दे रहे थे। या यूं कहें कि हमारी आंखें उन तक पहुंच नहीं पा रही थी। वैसे शूट पर आने से पहले ही मेरा दिल टूट चुका था। कारण सिर्फ इतना था कि कैमरापर्सन ने मुझसे पूछ लिया था..श्याम बेनेगल कौन है ? और मैंने उसे बौखलाहट में जवाब दिया कि संजय लीला भंसाली को जानते हो न , बस उसका बाप है। खैर मामला था एक बुक लांच का। पार्टी में सरगर्मियां थोड़ी तेज़ हुई। देखा तो पाया एन.डी.टी.वी वाले किसी को गन-माईक लगाकर शूट कर रहे हैं। तुरंत ताड़ गये कि श्याम दा ही हैं। अपन भी हो लिये। इच्छा तो कब से थी पर दादा के दर्शन आज हुए । सुना था काफी सज्जन आदमी हैं। लग भी रहे थे। और थे भी। हमने भी कैमरा ,माईक, बीच में घुसेड़ दिया। हांलाकि दूसरे शूट्स की तरह उनसे बात करने वालों की मारामारी यहां नहीं थी। फिर भी हम कुछ ज्यादा ही फुदक रहे थे।
पहला सवाल पूछा- श्याम दा आज दिल्ली बुक लांच पर आना हुआ और जामिया मिलिया इस्लामिया ने भी आज आपको सम्मानित किया है। तो इस बार का विजिट लकी रहा?
श्याम दा- जी, खुशी तो बहुत होती है,जब कोई सम्मानित करता है। इस बार जामिया ने डाक्टेरेट की उपाधि दे दी तो काफी अच्छा लग रहा है।
दूसरा सवाल- खबर है कि गंभीर फिल्में बनाने वाले श्याम बेनेगल अब महादेव के जरिये कामेड़ी फिल्म में हाथ आजमा रहे ?
श्याम दा- ठीक सुना है। वैसे कामेड़ी मेरे लिये कोई नई बात नहीं है। मंड़ी भी एक किस्म की कामेड़ी फिल्म थी। इस बार महादेव में भी कुछ कामिक स्टायर होंगे। देखें क्या परिणाम होता है।
तीसरा सवाल- महादेव के कैरेक्टराइज़ेशन के बारे में कुछ बताएं?
श्याम दा- जी फिल्मों का कैरेक्टराइज़ेशन एक अहम हिस्सा है। कोई भी फिल्म अकेले plot पर खड़ी नहीं रह सकती। इसलिए कैरेक्टरर्स के जरिये उस इंटरेस्टिंग बनाए रखना चाहिए।
चौथा सवाल- आपके उस चर्चित प्रोजेक्ट बुद्दा का क्या हुआ ? सुना है श्रीलंका में उसके लिए १००० एकड़ का प्लाट खरीदा गया है।
श्याम दा- उस पर अभी काफी काम होना बाकी है। हां, ये इंड़ो-श्रीलंकन प्रोजेक्ट है जिसे पूरा करने में अभी काफी समय लगेगा। अभी तो स्क्रिप्ट पर काम चल रहा है।
पांचवा सवाल- वैसे काफी समय हो गया आपको कोई फिल्म बनाए, अब क्या आपका कमबैक माना जाये ?
श्याम दा- नहीं,नहीं ऐसी कोई बात नहीं। उम्र जरुर हो चली है पर अभी तो काफी काम करना है। थोड़ा थक गया था तो ब्रेक ले लिया।
आखिरी सवाल- एक फिल्म आपने बनाई थी। सुसमन इतना बता दीजिए की वो कहां मिलेगी।
(ये सवाल आफ कैमरा पूछा गया)
श्याम दा- मुझसे ही ले लिजिएगा। (थोड़ा झिझके, फिर संभलकर बोले) वो आपको एन.एफ.डी.सी से मिलेगी।
दादा आगे बढ़ गये और किसी ने उनसे कोई सवाल नहीं पूछा
तुषार उप्रेती
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