हम तो ऐसे हैं भइया.. (स्वानंद किरकिरे) SWANAND KIRKIRE

Song- हम तो ऐसे हैं भइया...
Lyricist- स्वानंद किरकिरे
Singer- श्रेया घोषाल, सुनिधी चौहान,
स्वानंद किरकिरे, प्रणब बिस्वास
Music- शांतुनु मोइत्रा
Film- लागा चुनरी में दाग
Director- प्रदीप सरकार


स्वानंद किरकिरे इससे पहले परिणीता, एकलव्य, मुन्नाभाई एमबीबीएस, लगे रहो मुन्नाभाई, हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी.. जैसी फ़िल्मो के गाने भी लिख चुके हैं। आईए, आपको उनके लिखे एक ठेठ बनारसी गाने से रू-ब-रू कराते हैं...

ये गाना सुनने के लिए आप यहां क्लिक करें....


जेब में हमरी दुई रूपैया
दुनिया को रखें ठेंगे पे भैया
सुख-दुख को खूंटी पे टांगे
और पाप-पुण्‍य चोटी से बांधे
नाचे हैं हम ता-ता थैया
हम तो ऐसे हैं भैया
ये अपना पैशन/टश्‍न है भैया ।।


एक गली में बम-बम भोले
दूजी गली में अल्‍ला-मियां
एक गली में गूंजें अज़ानें
दूजी गली में बंसी बजईया ।।


सबकी रगों में लहू बहे हैं
अपनी रगों में गंगा मैया
सूरज और चंदा भी ढलता
अपने इशारों पे चलता
दुनिया का गोल-गोल पहिया ।। हम तो ऐसे हैं भैया ।।


आजा बनारस में रस चख ले आ
गंगा में जाके तू डुबकी लगा
रबड़ी के संग-संग चबा ना ले उंगली
माथे पे भंग का रंग चढ़ा
चूना लगई ले,पनवा चबई ले
उसपे तू ज़र्दे का तड़का लगई ले
पटना से अईबे, पैरिस से अईबे
गंगा में हर कोई नंगा नहइबे
जीते जी तो कोई काशी ना आए
चार-चार कांधों पे वो चढ़के आए ।।
हम तो ऐसे हैं भईया
ये अपनी नगरी है भईया ।।


दीदी अगर तुझको होती जो मूंछ
मैं तुझको भईया बुलाती तू सोच
अरे छुटकी अगर तुझको होती जो पूंछ
मैं तुझको गैया बुलाती तू सोच
दीदी ने ना जाने क्‍यों छोड़ी पढ़ाई
घर बैठे अम्‍मां संग करती है लड़ाई
अम्‍मां बेचारी बीच में है आई
रात दिन सुख-दुख की चलती सलाई
घर बैठे-बैठे बाप जी हमारे
लॉटरी में ढूंढते हैं किस्‍मत के तारे
मंझधार में हमरी नैया
फिर भी देखो मस्‍त हैं हम भैया ।।
हम तो ऐसे हैं भैया ।।


दिल में आता है यहां से
पंछी बनके उड़ जाऊं
शाम ढले फिर दाना लेकर
लौटके अपने घर आऊं ।।
हम तो ऐसे हैं भैया ।।हम तो ऐसे हैं भैया ।।

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