अपने-अपने हिस्से का आसमान..saregamapa




कुछ वक्त पहले तक न जाने ये शख्स देश के किस कोने में रहता था लेकिन अब इसे सारा देश जानता है।मशहूर रियेलिटी टीवी शो सारेगामापा में पश्चिम बंगाल के औनीक धर की प्रतिभा ने उन्हें 2007 का विजेता बनवा दिया। इतना ही नहीं बल्कि इस टैलेंट हंट शो में उनके साथ मुकाबला करने वाले कई प्रतियोगियों ने भी अपने अपने हिस्से की शोहरत कमा ली है।
कुछ नाम जो कुछ समय पहले तक गुमनामी के अंधेरे में जी रहे थे। महज़ एक मंच पर आने के बाद रातों रात लोगों की जुबां पर आ गये । यानि अगर कहें कि प्रतिभा को सही वक्त पर मौका दिया जाए तो हर कोई अपने हिस्से का आसमान खोज लेता है। लेकिन प्रतियोगिता में भावनाएं अपनी जगह हैं और फैसले के अपने मायने। इसलिए सारेगामापा में हर कोई अपने हिस्से की शोहरत कमाता गया और अपनी अपनी प्रतिभा का परचम लहराता गया। हांलाकि रेस में एक का जीतना और दूसरे का हारना तय होता है फिर भी ऑनिक धर ने तकरीबन 3करोड़ 65 लाख वोट के साथ जीत का सेहरा अपने सिर बांध लिया। इसके साथ ही उन्हें 50 लाख का यूनिवर्सल का कांट्रेक्ट और शेर्वले कार दिया जाना उनके आगे के सफर को थोड़ा आसान जरुर बना देगा। दूसरी ओर हैं वो लोग जो कॉम्पिटिशन की रेस में भले ही पीछे छूट गये हों पर जिंदगी की रेस में अभी उनके पास कई मौके बचे हैं। क्योंकि वैसे भी किसी ने ठीक कहा है कि जिंदगी का असली मज़ा उसके सफर में है मंजिल की खामोशी में नहीं। कुछ नाम जो कुछ समय पहले तक गुमनामी के अंधेरे में जी रहे थे। महज़ एक मंच पर आने के बाद रातों रात लोगों की जुबां पर आ गये । यानि अगर कहें कि प्रतिभा को सही वक्त पर मौका दिया जाए तो हर कोई अपने हिस्से का आसमान खोज लेता है। लेकिन प्रतियोगिता में भावनाएं अपनी जगह हैं और फैसले के अपने मायने। इसलिए सारेगामापा में हर कोई अपने हिस्से की शोहरत कमाता गया और अपनी अपनी प्रतिभा का परचम लहराता गया। हांलाकि रेस में एक का जीतना और दूसरे का हारना तय होता है फिर भी ऑनिक धर ने तकरीबन 3करोड़ 65 लाख वोट के साथ जीत का सेहरा अपने सिर बांध लिया। इसके साथ ही उन्हें 50 लाख का यूनिवर्सल का कांट्रेक्ट और शेर्वले कार दिया जाना उनके आगे के सफर को थोड़ा आसान जरुर बना देगा। दूसरी ओर हैं वो लोग जो कॉम्पिटिशन की रेस में भले ही पीछे छूट गये हों पर जिंदगी की रेस में अभी उनके पास कई मौके बचे हैं। क्योंकि वैसे भी किसी ने ठीक कहा है कि जिंदगी का असली मज़ा उसके सफर में है मंजिल की खामोशी में नहीं।
तुषार उप्रेती

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