ऊंगलियों पर गिनता हूं झीनी-झीनी यादें
यादें उन खुमारी के पलों की,
यादें उन आने वाले कलों की,
जो रेशे रेशे अब बिखर गई हैं
जिन्हें हर वक्त मुझे समेटना पड़ता है।
जेब में रखकर घुंमता हूं ये यादें
कि कोई देख न ले,
नहीं तो शर्मा जाएँगी।
कई बार पिटारियों मे बंद करने की कोशिश की इन्हें
फिर भी न जाने कहां से लपक कर
मेरी गोद में आ दुबकती हैं।
मैं अपने हाथों से इनका पसीना पोंछता हूं,
हर वक्त इनके ही बारे में सोचता हूं।
मैं आगे दौडूं तो ये पीछे भागें
मैं सोऊं तो ये सारी रात जागे।
यादें,यादें बस यादें
अब कुछ नहीं मेरे पास
बचीं हैं तो सिर्फ यादें,
कई बार छुपने की कोशिश की इनसे
फिर भी मेरे पीछे झुंड़ में चली आती हैं यादें,
मेरे कहने पर ही मुस्कुराती हैं यादें,
काश इनके पंख होते तो भेजता तुम्हारे पास,
दिल में सूख गया है अब ये अहसास,
कभी-कभी लगता है दुश्मनी मोल लूं इन यादों से
कम से कम पीछा तो छोड़ेगी यादें,
लेकिन यादें हैं जो तुम्हारे पर गई हैं,
ये भी भीतर तक मुझे निचौडेंगीं।
यादें उन खुमारी के पलों की,
यादें उन आने वाले कलों की,
जो रेशे रेशे अब बिखर गई हैं
जिन्हें हर वक्त मुझे समेटना पड़ता है।
जेब में रखकर घुंमता हूं ये यादें
कि कोई देख न ले,
नहीं तो शर्मा जाएँगी।
कई बार पिटारियों मे बंद करने की कोशिश की इन्हें
फिर भी न जाने कहां से लपक कर
मेरी गोद में आ दुबकती हैं।
मैं अपने हाथों से इनका पसीना पोंछता हूं,
हर वक्त इनके ही बारे में सोचता हूं।
मैं आगे दौडूं तो ये पीछे भागें
मैं सोऊं तो ये सारी रात जागे।
यादें,यादें बस यादें
अब कुछ नहीं मेरे पास
बचीं हैं तो सिर्फ यादें,
कई बार छुपने की कोशिश की इनसे
फिर भी मेरे पीछे झुंड़ में चली आती हैं यादें,
मेरे कहने पर ही मुस्कुराती हैं यादें,
काश इनके पंख होते तो भेजता तुम्हारे पास,
दिल में सूख गया है अब ये अहसास,
कभी-कभी लगता है दुश्मनी मोल लूं इन यादों से
कम से कम पीछा तो छोड़ेगी यादें,
लेकिन यादें हैं जो तुम्हारे पर गई हैं,
ये भी भीतर तक मुझे निचौडेंगीं।
-तुषार उप्रेती
3 टिप्पणियां:
wah wah!!!!
mazza agaya......
wah wah!!!!
mazza agaya....
wah wah!!!!
mazza agaya....
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