ये वो युवा टीम है जिसने पहला ट्वेंटी-20 वर्ल्ड कप जीता और वो भी तब जब तीन बड़े दिग्गज टीम से बाहर थे। अब आने वाला समय इन्हीं युवा खिलाड़ियों का है जिन्हें विरोधी खिलाड़ियों की फ़ब्तियां सुनने की आदत नहीं । ये वो युवा चेहरे हैं जो दुश्मन की आंखों में आंखें डालकर खुलकर कर रहे हैं हम किसी से कम नहीं।
वक्त के साथ दौर बदलता है और दौर बदलने के साथ लोगों के देखने का नज़रिया भी .... बदलाव की इस दौड़ में आम जनता अपने पुराने हीरो को भूलाकर नए स्टार तलाशने लगती है। बदलाव की कुछ ऐसी आंधी आजकल भारतीय क्रिकेट पर भी हावी है। वक्त के साथ टीम इंडिया में ज़िम्मेदारियां भी बढ़ रही और इन ज़िम्मेदारियों को संभालने वाले कंधे भी। आखिर कब तक टीम इंडिया बिग थ्री यानी सचिन, सौरव और राहुल द्रविड़ के भरोसे रह पाती। एक दिन तो ऐसा आना ही था जब इन तीनों की जगह कुछ नए और काबिल चेहरों को भरनी थी। सचिन, सौरव और राहुल की गैर-मौजूदगी में एक नए कप्तान और नई टीम के साथ टीम इंडिया पहले ट्वेंटी-20 वर्ल्ड कप में खेलने उतरी। किसने सोचा था कि ये नौसिखिया टीम वर्ल्ड चैंपियन बनकर वापिस लौटेगी। आखिर उसी नौसिखिया टीम ने अपनी युवा शक्ति के बूते चैंपियनों को धूल चटाकर सबको हैरानी में डाला दिया। ट्वेंटी-20 वर्ल्ड कप की जीत के बाद ये बात और खुलकर सामने आ रही है कि टीम इंडिया अब वाकई युवाओं के भरोसे है। रोबिन उथप्पा के बयान से तो ये बात और भी पुख्ता हो गई है। मुंबई में ऑस्ट्रेलिया के साथ होने वाले ट्वेंटी-20 मुकाबले से पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक पत्रकार ने उथप्पा से पूछा कि क्या ट्वेंटी-20 में बिग थ्री की ग़ैर-मौजूदगी खलेगी ? तो उथप्पा का साफ कहना था कि हमने सचिन, सौरव और राहुल के बिना ही ट्वेंटी-20 वर्ल्ड कप जीते था। उथप्पा की तरह इस सच को मानने वालों की कमी नहीं है कि अब टीम इंडिया को अगर जीतना है सचिन का बल्ला चलना ज़रूरी नहीं। जी हां, अब वो दिन लद गए हैं। अब टीम इंडिया के पास धोनी, युवराज,हरभजन ,उथप्पा, रोहित शर्मा, इरफ़ान, आर पी सिंह, श्रीसंत, गंभीर जैसे वो नाम हैं जिनमें जोश भी है और वक्त पड़ने पर टीम को संकट से निकालने की काबलियत भी। ये वो खिलाड़ी हैं जो विरोधी टीम के दबाव में आने की बजाए उन्हें ईंट का जवाब पत्थर से देना जानते हैं। टीम इंडिया के पास अब वो युवा ब्रिगेड है जो अपने विपक्षी खिलाड़ियों की आंखों में आंखें डालकर कह रही है.. हम है यंग इंडिया।
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