क्लास के अंदर भी एक दहशत थी,
क्लास के बाहर भी एक दहशत है,
कुछ खोपड़ियां फिर भी हां के इशारे में
ज़ोर ज़ोर से हिल रही थी,
शायद दहशत इसी वजह से थी,
ना कहने वाले को उस दिन सरेआम प्रताड़ित
किया गया था
लेकिन सब भूल गये थे कि
पूर्णतः सहमत आदमी बड़ा ङी खतरनाक होता है।
- तुषार उप्रेती
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