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"मंदिर-मस्जिद कौन बनाए
खड़ा करे कौन सवाल नया
मंदिर-मस्जिद में चैन अभी है
कौन करे बवाल नया"
मगर इक मूरत अपने ख़ुदा कीहमने भी बना के रखी हैजो ज़ालिमों के चंगुल सेबचा के रखी हैना मंदिर में मेरे प्रभु,ना मस्जिद में मेरे अल्लाहवो मूरत तो हमने सीने
में छुपा के रखी हैदिल से लगा के रखी हैज़ालिमों से बचा के रखी है......
- पुनीत भारद्वाज