हौसला अभी ज़िंदा है.....



ख़ून में हरारत, जिस्म में जान बाकी है
चंद लाल क़तरों में अभी कितने तूफ़ान बाकी है...


हर हद तक करले ऐ वक़्त तू जितना भी सितम
हौसला अभी ज़िंदा है, अभी ख़ून भी है गरम


ऐ मौत ठहर थोड़ा इंतज़ार करले
अभी तो ज़िंदगी में बहुत काम बाकी है....


- पुनीत भारद्वाज

तूफ़ानों से अपनी यारी है......



ज़िंदगी तूफ़ानों में बीती सारी है
अब तो तूफ़ानों से अपनी यारी है



बारहा* डूबते-डूबते बचे हैं * बार-बार
बारहा मौजों में क़श्ती उतारी है

अब तो तूफ़ानों से अपनी यारी है...



आसमां तो फिर भी आसमां है
अब तो आसमां से भी आगे जाने की तैयारी है
अब तो तूफ़ानों से अपनी यारी है.....



जिसे चाहे अपना बना लें,
जिसे चाहे दिल से लगा लें,
इसे मेरा जुनून समझो या समझो कोई बीमारी है..

ज़िंदगी तूफ़ानों में बीती सारी है
अब तो तूफ़ानों से अपनी यारी है.............




-पुनीत भारद्वाज


कैसी ये क़शमक़श है..

ज़ेहन में न जाने कितनी सिलवटें हैं,
हर शाख़ पर बस ख़्यालों की लटे हैं,
क्या लिखूं, क्यूं लिखूं, कैसे लिखूं.......
अजीब सी क़शमक़श है,
क़ाग़ज़ कोरे का कोरा है, जाने क्यूं आज
क़लम भी बेबस है...

- पुनीत भारद्वाज

बंदूकें इतनी बिक गई हैं बाज़ारों में...























आंखें बंद करता हूं तो बेज़ुबान अंधेरा नज़र आता है...
आंखें खोलता हूं तो ख़ौफ़ का चेहरा नज़र आता है

शहर की फ़िज़ाओं में रंजिशें कुछ यूं घुल गई हैं...
अब तो महकता गुलशन भी वीरान सहरा नज़र आता है..

बंदूकें इतनी बिक गई है बाज़ारों में..
के अब तो सांसों पे भी किसी का पहरा नज़र आता है...

- पुनीत भारद्वाज


नारी शक्ति को सलाम.... वूमंस-डे प्रोमो


वो ममता की मूरत है,

तो कभी एक लाडली बेटी...

एक आदर्श बहू होने के साथ,

वो बंधी है राखी की डोर से...

कभी वो कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ती है,

तो कभी उस अबला को रहना पड़ता है दहलीज़ की मर्यादाओं में...

नारी की शक्ति पर टिका है सारा जहान

नारी के इन सब रूपों को हमारा सलाम

- पुनीत भारद्वाज