ढ़ाई आखर



















प्यार,प्रेम, इश्क़ कभी करके तो देख
ढ़ाई आखरों का फ़लसफ़ा कभी पढ़के तो देख


कबसे बस साहिल पे खड़ा है
माना आग का दरिया है, इक बार उतरके तो देख


अभी तो तुमने बस मेरी मोहब्बत देखी है

गर इंतिहा-ए-इश्क़ देखनी है तो मुझसे लड़के तो देख

- पुनीत भारद्वाज

बावरा मन.....SWANAND KIRKIRE

Song- बावरा मन...
Lyricist- स्वानंद किरकिरे
Singer- स्वानंद किरकिरे
Music- शांतुनु मोइत्रा
Film- हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी..
Director- सुधीर मिश्रा


बावरा मन देखने चला एक सपना
बावरा मन देखने चला एक सपना

बावरे से मन की देखो बावरी हैं बातें
बावरे से मन की देखो बावरी हैं बातें
बावरी सी धड़कनें हैं बावरी हैं सांसें
बावरी सी करवटों से निंदियां दूर भागे
बावरे से नैन चाहे.. बावरे झरोखों से..
बावरे नज़ारों को तकना
बावरा मन देखने चला एक सपना

बावरे से इस जहां में बावरा एक साथ हो
इस सयानी भीड़ में बस हाथों में तेरा हाथ हो
बावरी सी धुन हो कोई, बावरा एक राग हो
बावरी सी धुन हो कोई, बावरा एक राग हो
बावरे से पैर चाहें....बावरे तरानों के...
बावरे से बोल पे थिरकना....

बावरा मन देखने चला एक सपना

बावरा सा हो अंधेरा, बावरी ख़ामोशियां
बावरा सा हो अंधेरा, बावरी ख़ामोशियां
थरथराती लौ हो मद्धम, बावरी मदहोशियां
बावरा एक घूंघट चाहे...हौले-हौले बिन बताए...
बावरे से मुखड़े से सरकना..

बावरा मन देखने चला एक सपना

चड्डी पहनके फूल खिला है....गुलज़ार

Song- चड्डी पहनके फूल खिला है

Lyricist- गुलज़ार
Music- विशाल भारद्वाज
PROGRAMME- मोगली






जंगल-जंगल बात चली है, पता चला है..

अरे चड्डी पहनके फूल खिला है, फूल खिला है...



जंगल-जंगल पता चला है, चड्डी पहनके फूल खिला है..

जंगल-जंगल पता चला है, चड्डी पहनके फूल खिला है..



एक परिंदा होए शर्मिंदा..

था वो नंगा...

भइया, इससे तो अंडे के अंदर

था वो चंगा...

सोच रहा है बाहर आकर क्यूं निकला है...

अरे चड्डी पहनके फूल खिला है, फूल खिला है...


जंगल-जंगल पता चला है, चड्डी पहनके फूल खिला है..
जंगल-जंगल पता चला है, चड्डी पहनके फूल खिला है..