ढ़ाई आखर



















प्यार,प्रेम, इश्क़ कभी करके तो देख
ढ़ाई आखरों का फ़लसफ़ा कभी पढ़के तो देख


कबसे बस साहिल पे खड़ा है
माना आग का दरिया है, इक बार उतरके तो देख


अभी तो तुमने बस मेरी मोहब्बत देखी है

गर इंतिहा-ए-इश्क़ देखनी है तो मुझसे लड़के तो देख

- पुनीत भारद्वाज

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