कोई है बस तुम्हारा.....(सुनिए भी)
कोई है जो याद करता है तुम्हें
कोई है जो सांस लेता है सिर्फ़ तुम्हारे लिए
दिल हमारा भी मचलता है तुम्हारे बिना
इक-इक पल सदियों सा कटता है हमारा तुम्हारे बिना
हर इक आहट पर हम भी चौंक जाते हैं
भीड़ से बाज़ार से अब हम भी जी चुराते हैं
रत-जगे हम भी तेरी याद में मनाते हैं
तुम्हें भूल पाने की क़समें हम भी रात-दिन खाते हैं
मगर तुम्हें हम भूल पाएं तो भूल पाएं कैसे
और आरज़ू क्या है ये भी जताएं कैसे
ये दिल ही है जिसने ये दिन दिखाया है
लबों पे ख़ामोशी भीतर इक तूफ़ान सा जगाया है
भीतर इक तूफ़ान सा जगाया....
कोई है जो सांस लेता है सिर्फ़ तुम्हारे लिए
दिल हमारा भी मचलता है तुम्हारे बिना
इक-इक पल सदियों सा कटता है हमारा तुम्हारे बिना
हर इक आहट पर हम भी चौंक जाते हैं
भीड़ से बाज़ार से अब हम भी जी चुराते हैं
रत-जगे हम भी तेरी याद में मनाते हैं
तुम्हें भूल पाने की क़समें हम भी रात-दिन खाते हैं
मगर तुम्हें हम भूल पाएं तो भूल पाएं कैसे
और आरज़ू क्या है ये भी जताएं कैसे
ये दिल ही है जिसने ये दिन दिखाया है
लबों पे ख़ामोशी भीतर इक तूफ़ान सा जगाया है
भीतर इक तूफ़ान सा जगाया....
-पुनीत बालाजी भारद्वाज
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