माना के दूर होते हैं...
जब हम पास होते हैं..
और इन फ़ासलों में
भले ही मन उदास होते हैं..
जितने भी दूर हो हम-तुम
तो क्या हुआ ऐ दोस्त...
कुछ एहसास हैं जो
बेहद ख़ास होते हैं...
ये फ़ासलें तो बस नज़र का धोख़ा है....
हरदम तेरे ख़्याल तो मेरे आस-पास होते हैं...
- पुनीत भारद्वाज