जियांशु....


मासूम हंसी, चंचल छवि
घर-आंगन महकता गुलशन
जाने क्यूं, आखिर क्यूं
झटपट से गुज़रता है बचपन
कोई थाम ले डोर,
और रोक ले दौर
क्योंकि फिर ना आएंगे वो दिन
और फिर ना मिलेगा ये बचपन....
(मेरे भतीजे जियांशु और सभी मासूम, नन्हें-मुन्ने बच्चों के लिए )

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