उम्मीदें अभी बाकी हैं...

और कोशिशें भी जारी हैं....

हाथ में फिर से क़लम पकड़ने की तैयारी है....



सीने में लावा है..

दिल में अज़ाब (तूफ़ान) है...

उंगलियां अब मुट्ठी हैं...

हर लफ़्ज़ इंक़लाब है...







- पुनीत भारद्वाज

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