मार्क्सवाद और Marksवाद....



पूरे Marksवादी हो गए हैं ये मार्क्सवादी
बिला वजह विरोध करना इनकी आदत सी हो गई है
सुर्ख़ियों में रहना और हर बात पर कुछ कहना
इनकी
आदत सी हो गई है
अंकों का जोड़-तोड़ करते रहते हैं ये मार्क्सवादी
इतने दक्षिणपंथी, कितने वामपंथी!








हमारा एजुकेशन सिस्टम भी तो मार्क्सवादी हो गया है
श्रीराम
के चरित्र पर तो प्रश्नचिह्न लगा दिया जाता है
और पेपर में जय-वीरू के साथ गब्बर के चरित्र पर प्रश्न पूछे जाते हैं

चॉक से ब्लैकबोर्ड !
कॉपी से पेन तक !
Marks
वाद ऐसा फैला है कि शिक्षा व्यवस्था ना हो मटका हो
दांव पर नंबर होते हैं और नंबरों पर दांव होते हैं
शाबाश 98 %, वाह 89 %... सिर्फ़ 40 %


- पुनीत भारद्वाज

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