हम मेहनतक़श हैं...



दौलत का शजर* हमेशा हरा नहीं होता, * पेड़

कभी क़िस्मत पर किसी का पहरा नहीं होता,

हम मेहनतक़श हैं, मिट्टी में भी सोना उगा देंगे,

मुक्क़मल मुसाफ़िरों के लिए सहरा, सहरा* नहीं होता। *रेगिस्तान

- पुनीत भारद्वाज

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

itne mushkil urdu k shabd likhte ho,
ab sath me inks matlab likhne bhool gaye ho kya ??