तरह-तरह के रंग उकेरें,
तो रचा जिंदगी का कैनवास...
कांटें-गुलशन सभी से यारी,
कभी महुआ, कभी पलाश...
हर पल में है कितनी हलचल,
कैसे समेटूं सब एहसास...
इतने किस्से, कितनी यादें,
कुछ हैं खट्टी, कुछ हैं खास..
तो रचा जिंदगी का कैनवास...
कांटें-गुलशन सभी से यारी,
कभी महुआ, कभी पलाश...
हर पल में है कितनी हलचल,
कैसे समेटूं सब एहसास...
इतने किस्से, कितनी यादें,
कुछ हैं खट्टी, कुछ हैं खास..
- पुनीत भारद्वाज