जिंदगी का कैनवास...


तरह-तरह के रंग उकेरें,
तो रचा जिंदगी का कैनवास...

कांटें-गुलशन सभी से यारी,
कभी महुआ, कभी पलाश...

हर पल में है कितनी हलचल,
कैसे समेटूं सब एहसास...

इतने किस्से, कितनी यादें,
कुछ हैं खट्टी, कुछ हैं खास..
- पुनीत भारद्वाज

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

इतने किस्से, कितनी यादें,
कुछ हैं खट्टी, कुछ हैं खास..

kuch me poori hui hasrate
kisi ne jagayi aur pyaas.....