कठपुतली...




बिन धागे की कठपुतली हम
दौड़े-भागे, नाचे-गावे....
ऊपर बैठा सबदा रब राखा
डमरू बजावे, खेल दिखावे....

मजमा लगा है, मंच सजा है...
उसने क़रतब में हर रंग रचा है....
कभी उछलता, कभी फुदकता
कभी सोचता, कभी भटकता
कभी है रोता, कभी मटकता
कभी झगड़ता, कभी झिड़कता
इक आवे तो दूजा जावे...
आवे-जावे, जावे-आवे........

ऊपर बैठा सबदा रब राखा
डमरू बजावे, खेल दिखावे.....


- पुनीत भारद्वाज

Why So Serious....



Why so serious...
Lets move on...
Life is mysterious...
Forget it whats gone......

Smooth or Rough...
Hard & Tough...
Or....
If its enough is enough
Just bear a Smile
Bcoz...
Always crying is futile
Live the Life full on....

Why so serious...
Lets move on...


-Puneet Bhardwaj

आसमान



















मुझे नफ़रत है ऊंची-ऊंची इमारतों से....
कम्बख़्त मेरे और मेरे आसमान के बीच आ जाती हैं....

काश ऐसी भी कोई जगह होती....
जहां सिर्फ मैं होता,
इक क्षितिज होता,
बारिश होती, खुली हवाएं होती और दूर तक फैला आसमान होता...

जहां तक मेरी निग़ाहें जाती...
वहां तक जाने का मेरा भी अरमान होता ...

- पुनीत भारद्वाज