दंभ भरते थे जो कल अपनी दौलत के गुमान का....
आज शुक्रिया करते हैं वो इक छोटे से एहसान का....
कल मैं था उसकी जगह, आज वो मेरी जगह
कब पलटे तक़दीर....क्या भरोसा इंसान का...
अजी ये तो बस इस जहां की बात है....
कब रहता है एक जैसा मूड भी भगवान का...
- पुनीत बालाजी भारद्वाज
2 टिप्पणियां:
True poem puneet
Bahut Khoob! Subah Allah!
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