मेरी ऑनलाइन दुनिया
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लहू तेरा भी लाल है...
ओढ़ी तूने भी खाल है, ओढ़ी मैंने भी खाल है
लहू तेरा भी
लाल
है, लहू मेरा भी
लाल
है
कुदरत भेद नहीं करती, ना जन्म से ना जात से
इंसान तो अलग बनता है, बस अपनी सोच और जज़्बात से
- पुनीत बालाजी भारद्वाज
1 टिप्पणी:
बेनामी ने कहा…
Beshak...insaan apni soch se alag banta he.
4/10/2013 8:27 pm
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Beshak...insaan apni soch se alag banta he.
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