कत्ल

सन्नाटा वहीं है
लोग आगे बढ़ गये हैं,


धूल वैसे ही लेटी है
शव उसमें सड़ गये हैं,


कत्ल तो किया था उसने
वो दोष मुझ
पर मढ़ गये.......



तुषार उप्रेती

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