ऐ मेरे वतन के लोगों....
दिल का धागा बांध रे...
"है ख़ुदा तो है मज़हबमज़हब से ही मंदिर-मस्जिदमंदिर-मस्जिद में होते झगड़ेझगड़े भी तगड़े-तगड़े...इक ख़ुदा के फेर में क्यूं खुद है रोताना होता ख़ुदा तो तू ख़ुदा होता....."
चाहतें तमाम हैं...
हसरत की उड़ान...
साहिल के कंधों पे लहरों ने थपकी दी है
सागर के आंचल में सूरज ने झपकी ली है.....
एक हाथ तो बढ़ाओ, आसमां पे फल लटक गए हैं
अपनी भूख मिटाओ, तारों के झुंड जो पक गए हैं
ये स्वाद में मीठे होंगे, ये बात तो पक्की ही है
साहिल के कंधों पे लहरों ने थपकी दी है....
पेड़ों के पत्तों पे, किसने ये कोहरा बिखेरा
झूमते फूलों पे, ये रंग है किसने फेरा
ये कैसा करिश्मा है, ये बात गज़ब की है
साहिल के कंधों पे लहरों ने थपकी दी है....
वो पंछी अपने घर से फिर से निकल पड़े हैं
हम भी उड़े आसमान में, क्यों सोच में पड़े हैं
ख्वाहिशों को पंख लगाएं, ये उड़ान हसरत की है
साहिल के कंधों पे लहरों ने थपकी दी है
सागर के आंचल में सूरज ने झपकी ली है....
इक कारवां खड़ा है...
बूंदों की सोहबत में बहे,
बादलों के कंधों पे चढ़े,
चांद के साए में जुगनूओं सा टिमटिमाएं
मंज़िलें....
" ख़ून में हरारत जिस्म में जान बाकी है
चंद लाल क़तरों में अभी कितने तूफ़ान बाकी है
हर हद तक करले ऐ वक़्त तू जितना भी सितम
हौसला अभी ज़िंदा है, अभी ख़ून भी है ग़रम
ऐ मौत ठहर थोड़ा इंतज़ार करलेअभी तो ज़िंदगी में बहोत काम बाकी हैं......"
हौसलों से ऊंची पर नहीं मगर
कट ही जाएगी, मिट ही जाएगी
दूरियां ये.. तू कुछ कर गुज़र......