मेरी ऑनलाइन दुनिया
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रोटी के रूप से फीके ये तेरे अदा-हुस्न के जलवे हैं...
1 टिप्पणी:
बेनामी ने कहा…
Fabulous poem
4/15/2013 7:32 am
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Fabulous poem
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