मेरी ऑनलाइन दुनिया
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मन तरसे जो बरखा बरसे ...
मन तरसे जो बरखा बरसे,
मोरे पिया अब निकलो घर से.....
दिल तन्हा-तन्हा रूठ रहा है,
धीमे-धीमे टूट रहा है..
जाने क्या पीछे छूट रहा है,
छूना ना, बस एक झलक दे
असर आएगा तेरी नज़र से..
मोरे पिया अब निकलो घर से.......
बूंद-बूंद पर चलके आना
या बूंद-बूंद में ढलके आना
आकर मेरी प्यास बुझाना
अब आ भी जा ओ बरखा रानी
उतर भी आओ ना अंबर से...
मोरे पिया अब निकलो घर से........
- पुनीत भारद्वाज
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