मेरी ऑनलाइन दुनिया
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जीया भी गावै मेघ मल्हार
मोर म्चावै बागां मै शोर
गरजे-बरसे बदरा घणघोर....
धरा की देह पर रंग हैं झलके
पहन लहरिया...जोबण छलके...
छम-छम...छमके.... बरखा बहार
जीया भी गावै मेघ मल्हार.....
- पुनीत बालाजी भारद्वाज
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