हिन्दुस्तान वहां भी है, पाकिस्तान यहां भी है...





एक हिन्दुस्तान वहां भी है, इक पाकिस्तान यहां भी है...
कुछ इंसान वहां भी हैं, कुछ हैवान यहां भी हैं....

आरती-अज़ान के फेर में फंसा
बेबस भगवान वहां भी है, बेबस भगवान यहां भी है..

कुछ चेहरे हैं भोले-भोले, कुछ चेहरे जैसे बम के गोले
दहशत का सामान वहां भी है, दहशत का सामान यहां भी है...

तकसीम हुए दिल, बिछा दी सरहद
अपनी हीं ज़द में बना दी इक हद
कुछ नादान वहां भी है, कुछ नादान यहां भी है.....

बीच में बॉर्डर और दोनों ओर
एक जैसे इंसान वहां भी हैं, एक जैसे इंसान यहां भी हैं.....

- पुनीत बालाजी भारद्वाज

1 टिप्पणी:

REKHA SONI ने कहा…

अच्छी है...but comparing to prior poems इसमें कुछ कमी है...इसमें भी कुछ बात है...सरहद वाले पढ़े तो वे भी आपका पंखा बन जाए...