तो रचा जिंदगी का कैनवास...
कांटें-गुलशन सभी से यारी,
कभी महुआ, कभी पलाश...
हर पल में है कितनी हलचल,
कैसे समेटूं सब एहसास...
इतने किस्से, कितनी यादें,
कुछ हैं खट्टी, कुछ हैं खास..
दौलत का शजर* हमेशा हरा नहीं होता, * पेड़
कभी क़िस्मत पर किसी का पहरा नहीं होता,
हम मेहनतक़श हैं, मिट्टी में भी सोना उगा देंगे,
मुक्क़मल मुसाफ़िरों के लिए सहरा, सहरा* नहीं होता। *रेगिस्तान
- पुनीत भारद्वाज
वो ममता की मूरत है,
तो कभी एक लाडली बेटी...
एक आदर्श बहू होने के साथ,
वो बंधी है राखी की डोर से...
कभी वो कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ती है,
तो कभी उस अबला को रहना पड़ता है दहलीज़ की मर्यादाओं में...
नारी की शक्ति पर टिका है सारा जहान
नारी के इन सब रूपों को हमारा सलाम
- पुनीत भारद्वाज
Song- बावरा मन...
Lyricist- स्वानंद किरकिरे
Singer- स्वानंद किरकिरे
Music- शांतुनु मोइत्रा
Film- हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी..
Director- सुधीर मिश्रा
Song- चड्डी पहनके फूल खिला है
Lyricist- गुलज़ार
Music- विशाल भारद्वाज
PROGRAMME- मोगली
जंगल-जंगल बात चली है, पता चला है..
अरे चड्डी पहनके फूल खिला है, फूल खिला है...
जंगल-जंगल पता चला है, चड्डी पहनके फूल खिला है..
जंगल-जंगल पता चला है, चड्डी पहनके फूल खिला है..
एक परिंदा होए शर्मिंदा..
था वो नंगा...
भइया, इससे तो अंडे के अंदर
था वो चंगा...
सोच रहा है बाहर आकर क्यूं निकला है...
अरे चड्डी पहनके फूल खिला है, फूल खिला है...
जंगल-जंगल पता चला है, चड्डी पहनके फूल खिला है..
जंगल-जंगल पता चला है, चड्डी पहनके फूल खिला है..
18 अगस्त को गुलज़ार साहब पैदा हुए थे... गुलज़ार साहब के जन्मदिन पर मेरी ये पेशकश...