राजधानी की कहानी
कभी इंद्रप्रस्थ, कभी सल्तनत, कभी शाहजहानाबाद
महाभारत से आज भारत तक
ये है हर दिल में आबाद
सदियों पुरानी दिल्ली की कहानी
हुई 100 साल की अपनी राजधानी
- पुनीत बालाजी भारद्वाज
कोई है बस तुम्हारा.....(सुनिए भी)
कोई है जो याद करता है तुम्हें
कोई है जो सांस लेता है सिर्फ़ तुम्हारे लिए
दिल हमारा भी मचलता है तुम्हारे बिना
इक-इक पल सदियों सा कटता है हमारा तुम्हारे बिना
हर इक आहट पर हम भी चौंक जाते हैं
भीड़ से बाज़ार से अब हम भी जी चुराते हैं
रत-जगे हम भी तेरी याद में मनाते हैं
तुम्हें भूल पाने की क़समें हम भी रात-दिन खाते हैं
मगर तुम्हें हम भूल पाएं तो भूल पाएं कैसे
और आरज़ू क्या है ये भी जताएं कैसे
ये दिल ही है जिसने ये दिन दिखाया है
लबों पे ख़ामोशी भीतर इक तूफ़ान सा जगाया है
भीतर इक तूफ़ान सा जगाया....
कोई है जो सांस लेता है सिर्फ़ तुम्हारे लिए
दिल हमारा भी मचलता है तुम्हारे बिना
इक-इक पल सदियों सा कटता है हमारा तुम्हारे बिना
हर इक आहट पर हम भी चौंक जाते हैं
भीड़ से बाज़ार से अब हम भी जी चुराते हैं
रत-जगे हम भी तेरी याद में मनाते हैं
तुम्हें भूल पाने की क़समें हम भी रात-दिन खाते हैं
मगर तुम्हें हम भूल पाएं तो भूल पाएं कैसे
और आरज़ू क्या है ये भी जताएं कैसे
ये दिल ही है जिसने ये दिन दिखाया है
लबों पे ख़ामोशी भीतर इक तूफ़ान सा जगाया है
भीतर इक तूफ़ान सा जगाया....
-पुनीत बालाजी भारद्वाज
जीया भी गावै मेघ मल्हार
मोर म्चावै बागां मै शोर
गरजे-बरसे बदरा घणघोर....
धरा की देह पर रंग हैं झलके
पहन लहरिया...जोबण छलके...
छम-छम...छमके.... बरखा बहार
जीया भी गावै मेघ मल्हार.....
- पुनीत बालाजी भारद्वाज
अब तो सावन ऐसा आए..
मन तरसे जो बरखा बरसे ...
Love at First Sight...
Love at first sight
Is it wrong, Is is right?
Will it be painful or delight?
love at first sight....
Whether to say yes,
Whether to say no...
Whether to follow him,
Whether to let her go...
Lots of ups...
Lots of Down..
Much to lose..
Much to find...
Will it be painful or delight?
love at first sight....
If i cry,
u will hold me na...
If i wanna fly,
u will hold me na..
Be my love, Be my part
Always close to my heart
Just Hold me tight
Love at first sight.....
- Puneet Balaji Bhardwaj
हिन्दुस्तान वहां भी है, पाकिस्तान यहां भी है...
एक हिन्दुस्तान वहां भी है, इक पाकिस्तान यहां भी है...
कुछ इंसान वहां भी हैं, कुछ हैवान यहां भी हैं....
आरती-अज़ान के फेर में फंसा
बेबस भगवान वहां भी है, बेबस भगवान यहां भी है..
कुछ चेहरे हैं भोले-भोले, कुछ चेहरे जैसे बम के गोले
दहशत का सामान वहां भी है, दहशत का सामान यहां भी है...
तकसीम हुए दिल, बिछा दी सरहद
अपनी हीं ज़द में बना दी इक हद
कुछ नादान वहां भी है, कुछ नादान यहां भी है.....
बीच में बॉर्डर और दोनों ओर
एक जैसे इंसान वहां भी हैं, एक जैसे इंसान यहां भी हैं.....
- पुनीत बालाजी भारद्वाज
कुछ बच्चों को आपस में लड़ते देखा है....
आंखों में ख़्वाबों को जलते देखा है...
सुबह-सुबह सूरज को ढलते देखा है...
आग लगी दरिया में ऐसे
अश्क़ बने अंगारों जैसे
सब अरमानों को राख में तरते देखा है....
चांद-सा चेहरा, रात सी ज़ुल्फ़ें
रोशन समां, रेशम सी हवा....
और....बीच सड़क पर...
रोटी की ख़ातिर,
कुछ बच्चों को आपस में लड़ते देखा है....
-पुनीत बालाजी भारद्वाज
अब ख़ुद को ऐसा अंदाज़ तो दे....
अगर तू है कहीं, तो अपने होने का कभी कोई एहसास तो दे....
जो मैं ग़लती कर बैठूं तो मुझे कहीं से आवाज़ तो दे...
जीकर-मरना, मरकर-जीना... ये तो चलता रहता है...
बीच में आकर कभी-कभी तू जीवन को नया रिवाज़ तो दे...
शबद दिए, गीता कही, बाइबल और कुरान भी दी
कितनी इंसानी ज़ुबानों में तूने अपनी ज़ुबान भी दी
तू समझाए...सब समझ जाएं.. अब ख़ुद को ऐसा अंदाज़ तो दे....
- पुनीत बालाजी भारद्वाज
इक लौ जलने दो....
इक माटी का दीया सारी रात अंधियारे से लड़ता है...
तू तो ख़ुदा का दिया है, किस बात से डरता है*
इक लौ...
जलने दो...
पलने दो...
दर्द को....
इक लौ....
मचलने दो...
बढ़ने दो...
दर्द को.....
इक लौ...
लड़ती है...
भिड़ती है...
तूफां से अब...
इक लौ...
दहकती है...
वो कहती है...
जहां से अब...
क्यूं...
चुप रहते हो
सब सहते हो...
अब ना सहो
इस दर्द को......
क्यूं...
घर बैठे हो...
घर से निकलो...
अब तो कुचलो
इस दर्द को....
*ऊपर की दो लाइन किसी अंजान शख़्स की हैं...
- पुनीत भारद्वाज
ये दुनिया संभल भी सकती है......
हर रोज़ नज़ारा लगता है
हर शाम किनारा सजता है
कोई प्यार का मारा रोता है
कोई पेट से भूखा हंसता है
वो जेब से खाली है लेकिन
वो दिल का मालिक है लेकिन
पर इससे भी क्या होता है
हर रात वो भूखा सोता है
क्यूं नफ़रत से बर्बाद रहें
चलो प्यार से दिल आबाद करें
हर बंदिश से आज़ाद करें
इस दुनिया को शादाब* करें * हरा-भरा
ये आग भड़क भी सकती है
ये शोला भी बन सकती है
तू एक ज़रा हुंकार तो भर
कोई आंधी भी चल सकती है
हर शाम किनारा सजता है
कोई प्यार का मारा रोता है
कोई पेट से भूखा हंसता है
वो जेब से खाली है लेकिन
वो दिल का मालिक है लेकिन
पर इससे भी क्या होता है
हर रात वो भूखा सोता है
क्यूं नफ़रत से बर्बाद रहें
चलो प्यार से दिल आबाद करें
हर बंदिश से आज़ाद करें
इस दुनिया को शादाब* करें * हरा-भरा
ये आग भड़क भी सकती है
ये शोला भी बन सकती है
तू एक ज़रा हुंकार तो भर
कोई आंधी भी चल सकती है
कैसे हो, क्यों हो भूलो तुम
हर मुश्क़िल का हल ढूंढों तुम
जो रस्ते में थक जाएगा
तो कैसे मंज़िल पाएगा
अब तो दिल से तूफ़ान उठे
और भीतर का भगवान उठे
ये दुनिया संभल भी सकती है
जो तुझमे छिपा इंसान उठे....
- पुनीत भारद्वाज
ख़्वाहिश
ख़्वाहिशों को पंख लगाऊं
मैं यूं उड़ जाऊं
अंबर की सारी हवा बटोर के लाऊं....
छू लूं छोर गगन का
खोलूं चोर मन का
बादलों की सड़क पे ऐसे दोनों हाथ फैलाऊं
अंबर की सारी हवा बटोर के लाऊं....
एक हाथ में सूरज थामू
एक हाथ में चंदा मामू
आंखों से थामू मैं तारें
झिलमिलाएं मेरे सपने सारे
कोई तारा टूटे मैं जग जाऊं
अंबर की सारी हवा बटोर के लाऊं...
- पुनीत बालाजी भारद्वाज
इक उम्मीद...
इक उम्मीद पे टिका है सारा जहां
उम्मीद है तो फिर है अंत कहां
उम्मीद है तो नींदों में ख़्वाबों का बसेरा है
उम्मीद के साथ कुछ ढूंढने निकलो तो पूरा संसार तेरा है
ग़र उम्मीद है तो कैसी भी कोई भी हद नहीं
ग़र उम्मीद है तो आसमां से आगे भी सरहद नहीं
उम्मीद पाने से पहले, उम्मीद खोने के बाद भी
उम्मीद हर मुस्कान में, उम्मीद रोने के साथ भी
उम्मीद है तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है
वो होगा नहीं नाउम्मीद कभी जिसे ख़ुद पे यकीं है
इक उम्मीद से हर दिन नया सूरज निकलता है
उम्मीद से धरती घूमती है, रात दिन में बदलता है
और उम्मीद से ही काले-स्याह आसमान में चांद भी आगे चलता है
क्योंकि इक उम्मीद पे टिका है सारा जहां
उम्मीद है तो फिर है अंत कहां
उम्मीद है तो फिर है अंत कहां
उम्मीद है तो नींदों में ख़्वाबों का बसेरा है
उम्मीद के साथ कुछ ढूंढने निकलो तो पूरा संसार तेरा है
ग़र उम्मीद है तो कैसी भी कोई भी हद नहीं
ग़र उम्मीद है तो आसमां से आगे भी सरहद नहीं
उम्मीद पाने से पहले, उम्मीद खोने के बाद भी
उम्मीद हर मुस्कान में, उम्मीद रोने के साथ भी
उम्मीद है तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है
वो होगा नहीं नाउम्मीद कभी जिसे ख़ुद पे यकीं है
इक उम्मीद से हर दिन नया सूरज निकलता है
उम्मीद से धरती घूमती है, रात दिन में बदलता है
और उम्मीद से ही काले-स्याह आसमान में चांद भी आगे चलता है
क्योंकि इक उम्मीद पे टिका है सारा जहां
उम्मीद है तो फिर है अंत कहां
- पुनीत बालाजी भारद्वाज
Labels:
ग़ौर फ़रमाए,
लफ़्ज़-लफ़्ज़ ज़िंदगी
आगे लगे और धुंआ उठे.....
आग लगे तो इस तरह लगे
के निग़ाहें मिले और धुंआ उठे
सांसों से सांसे छू जाए
बातों ही बातों में तूफ़ान चले
आग लगे तो इस तरह लगे.....
मेरी धड़कनें तेरी धड़कनों से टकराए
मेरी धड़कनें तेरी धड़कनें बन जाएँ
जज़्बातों का सिलसिला कुछ इस तरह चले
के निग़ाहें मिले और धुंआ उठे....
मेरी बातों में इतना असर हो
ना तुझे दिन में चैन मिले,
ना रात में बसर हो
लफ़्ज़ होंटों से गिरे और कोई जादू करे
आगे लगे तो इस तरह लगे
के निग़ाहें मिले और धुंआ उठे....
वो पल के जिसमें जन्नत नसीब होती है
रूह जिस्मों से निकलकर ख़ुदा के क़रीब होती है
आओ उस एक पल को आबाद करें
आग लगे तो इस तरह लगे
के निग़ाहें मिले और धुंआ उठे......
के निग़ाहें मिले और धुंआ उठे......
- पुनीत भारद्वाज
कठपुतली...
बिन धागे की कठपुतली हम
दौड़े-भागे, नाचे-गावे....
ऊपर बैठा सबदा रब राखा
डमरू बजावे, खेल दिखावे....
मजमा लगा है, मंच सजा है...
उसने क़रतब में हर रंग रचा है....
कभी उछलता, कभी फुदकता
कभी सोचता, कभी भटकता
कभी है रोता, कभी मटकता
कभी झगड़ता, कभी झिड़कता
इक आवे तो दूजा जावे...
आवे-जावे, जावे-आवे........
ऊपर बैठा सबदा रब राखा
डमरू बजावे, खेल दिखावे.....
- पुनीत भारद्वाज
Why So Serious....
आसमान
Conditions Apply...
क्यूं बस बुत बनके बैठे हो...
क्यूं हाथ में गदा लेके ऐसे ऐंठे हो...
अब तो हिलो...चलो...उसे...मुझे...
पाप का हर निशान.....कुचलो...
अब तो हिलो....अब तो चलो
क्यूं बस बुत बनके ही बैठे हो....
व्रत धरो...गंगा नहाओ....या संग संगत भजन गाओ
सुबह-शाम मंदिर जाओ
या पुजारी जी के मार्फत कनेक्सन बनाओ
चाहे घूस के नाम पर चढ़ावा
श्री चरणों में चढ़ाओ
थोड़ा सा...या पूरी जेब करो ढीली ...
कभी-कभी या...ये शुभ कार्य करो डेली...
कितना जप लो......राम नाम
कोई गारंटी नहीं कि
100 परसेंट बनेंगे आपके काम
नारियल फोड़ लो
साष्टांग करो या हाथ जोड़ लो...
यहां तो हर बार....हर अरज पर....
होती है... conditions apply*...
देर-अंधेर तो पता नहीं माई बाप
इतना पता है कि
भगवान के दफ़्तर में है कोरी अफ़सरशाही....
*Terms & Conditions apply...Please read the documents of Geeta carefully
- पुनीत भारद्वाज
प्यार*
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