तस्वीरें .....




मुझे तस्वीरों से सख्त नफरत है। न जाने कब किस मोड़ पर मेरे सामने पड़ जाएं और आंखें उनका मुंह नोच लें। कारण बड़ा ही सीधा सा है। एक तो तस्वीरें हमेशा सुख के शब़ाब में डूबे पलों की होती हैं। जिन्हें देखकर मन हर बार ये सवाल गेंद की तरह उछाल देता है कि शायद मेरा बिछड़ा कल ज्यादा हसीन था। दिमाग भी उसी वक्त फरमान जारी करते हुए कहता है,कि, अगर पास्ट अच्छा था तो मैं भला किस फ्यूचर की तलाश में भटक रहा हूं । जहां जिंदगी हर कदम पर फासले पैदा करती जा रही है।

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