जब से तुम हो मिले.....


जब से तुम हो मिले
जब से तुम हो मिले
जब से तुम हो मिले......



जब से तुम हो मिले
चल पड़े सिलसिले
ज़ोर अब ना रहा मेरा जज़्बातों पर
आंसू बनकर निकल जाते हैं ये कभी
जब तेरी याद आती है ऐ महज़बीं*
जब से तुम हो मिले
जब से तुम हो मिले
जब से तुम हो मिले.......
* ख़ूबसूरत


जब से तुम हो मिले
दिल में है जलजले
खोया-खोया सा रहता हूं मैं.. मग़र
सीने में एक ग़ुमसुम सा एहसास है
क्या पता, क्या कहूं
कैसा एहसास है
बस इतना लगा है के कुछ ख़ास है
जब से तुम हो मिले
जब से तुम हो मिले
जब से तुम हो मिले ...


जब से तुम हो मिले
मिट गए सब गिले
ज़िंदगी मुझको अब रास आने लगी
प्यार की तिश्नगी* अब तो बुझने लगी
कुछ उदास सा मैं मुस्कुराने लगा
ख़्वाब मुझको कोई अब दिखाने लगा
ख़्वाब मुझको कोई अब दिखाने लगा
ख़्वाब मुझको कोई अब दिखाने लगा....
* प्यास


ख़्वाब मुझको कोई अब दिखाने
लगा




- पुनीत भारद्वाज

3 टिप्‍पणियां:

Ashish ने कहा…

पुनीत जी,
आपका ब्लॉग बहुत प्रभावित करता है। आपने खूब मेहनत की है। मेरा अपना ब्लॉग नए फ़िल्मी गीतों के शब्दों तक ही सीमित है पर आपके यहां तो गीतों का पूरा अनुभव मौजूद है। बहुत बढ़िया। गीतकारों की तस्वीर के बारे में सुझाव अच्छा है। देखते हैं क्या कर सकते हैं। आपका ख़ुद का लिखा भी अच्छा लगा। लिखते रहिए :-)

बेनामी ने कहा…

a beautiful song !!!!!
can't say more.
Plzzzzz do keep writing!!!!

बेनामी ने कहा…

Apart from the poem which is simply superb, the painting is equally b'ful n sets the mood for reading it.
Puneet i must say along vd writing b'ful poems, u accesorise them well.