मेरी रातें और तेरी बातें.....


तुझसे भी दिलक़श तेरी बातें लगती हैं
जैसे चांद से प्यारी चांदनी रातें लगती हैं

बातें तेरी इधर-उधर की
बातें तेरी जहान भर की

बातें तेरी जिनमें तेरा क़िस्सा रहता है और वो बातें भी जिनमें मेरा कोई हिस्सा रहता है

और बातों ही बातों में जब बढ़ जाती हैं तेरी-मेरी बातें

तब तेरे बाद भी मुझसे लड़ती है, झगड़ती हैं और अपनी बात मनवाने पर मजबूर करती हैं तेरी बातें

और तब ये तेरी मीठी और शरारती बातें कुछ इस तरह करती हैं मुझपे अपना असर

के तेरे होंटों से गिरकर मेरे कमरे में खनकते रहते हैं तेरे अल्फ़ाज़ रात-भर*


तब बस रह जाती है

मेरी रातें और तेरी बातें


-पुनीत भारद्वाज


*आखिरी लाइन दोस्त की एक लाइन से प्रेरित है, जज़्बातों के करीब लगी इसलिए लिया इसे..

2 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

ना बातें ना किस्से, ना नज़रें
ना अदाएं, मुस्कुराहट, ना गुस्सा,
आंसू ना वफ़ाए
कोई भी बीच में ना आने पाए

बेनामी ने कहा…

teri baatein
meri baatein
jahaan bhar ki apni baatein
tanhai me tera tassavur karayen teri baatein.